Kapalkundala (Hindi)
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय का जन्म सन् 1838 को एक खुशहाल बंगाली परिवार में हुआ था। वे बांग्ला भाषा के प्रख्यात उपन्यासकार एवं कवि थे। बंकिमचन्द्र ने भारतीय मानवीय भावों को सहज शब्दों में दर्शाया है। धर्म, समाज, जाति एवं राजनीति के मुद्दों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला है, भारतीय मध्यमवर्गीय परिवार इनकी रचनाओं में अपनी छवि को देखता है। भारतीय स्वतंत्राता संग्राम के क्रांतिकारियों के लिए ये प्रेरणास्रोत थे। कपालकुंडला 1866 में प्रकाशित हुआ यह उपन्यास सबसे बेहतरीन और सबसे लोकप्रिय है। यह उपन्यास दरियापुर, कोंताई में सेट किया गया है, जहाँ बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय ने डिप्टी कलेक्टर के रूप में काम किया था। यह उपन्यास कपालकुंडला नाम की एक वनवासी लड़की के जीवन के बारे में है, जिसे सप्तग्राम के एक युवा नबकुमार के साथ प्यार हो जाता है, पर वह शहर के जीवन के साथ समायोजित करने में असमर्थ होती है। यह उपन्यास कई भाषाओ में प्रकाशित हुआ है।
Author
Bankim Chandra Chattopadhyay
Age Group
15+ Years
Language
Hindi
Number Of Pages
112